कंजूस पंडिजी
ऐकटा पंडितजी छला।पडितजी अपन कन्या के अपना लंग नई राखइ छलाईत।पंडितजी बहूत कंजूस छलाइत।गांव के लोग सब पंडितजी के बहूत खिसियाबे । पंडितबा अपन धर मे खैबो नई करे या जई दिन भोज होई छै औहिया दिन खाईया इ पंडितबा। ऐक दिन ऐकटा छौरा पंडितजी के कहलक यौ पंडिजी आहा के लाज नइ होइया यौ सब आहा के ऐना सूनाबइत रहया।पंडिजी बहुत निक जवाब दलाइत। रै छौरा सूने गाव के लोग के होई छै कि ई पंडितबा पागल छै और हमरा होई या कि ई पुरा गांव ये पागल छै।
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